आरबीआइ : आजादी के बाद से इस्तीफा देने वाले पांचवें गवर्नर हैं उर्जित पटेल, जानें इस्तीफे से जुड़ा पूरा घटनाक्रम एक नजर में

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मुंबई : उद्योगपति राहुल बजाज अपनी बेलाग टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं. महीने भर पहले जब रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच सार्वजनिक विवाद चरम पर था, उन्होंने रीढ़ दिखाने के लिए गवर्नर उर्जित पटेल की सराहना की थी. वही पटेल ने आरबीआइ के केंद्रीय बोर्ड की दो दिन चली लंबी बैठक और चार दिन बाद होने वाली तीसरी बैठक का इंतजार करने से पहले सोमवार को तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया.

कार्यकाल समाप्त होने के करीब नौ महीने पहले उनका त्याग-पत्र बोर्ड के सदस्यों सहित तमाम लोगों के लिए हतप्रभ करने वाला रहा. आजादी के बाद से इस्तीफा देने वाले वह पांचवें गवर्नर हैं. पटेल के ही कार्यकाल में नोटबंदी का फैसला हुआ, जिसके लिए केंद्रीय बैंक की कड़ी आलोचना हुई. आलोचना हुई कि नोटबंदी लागू करने का तरीका खराब था. हालांकि, आरबीआइ इस मामले में सरकार के साथ मजबूती से खड़ा रहा. पटेल ने गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के मोर्चे पर राजन की लड़ाई को आगे बढ़ाया. उनके इसी प्रयास की वजह से निपटान होता दिखने लगा. उन्होंने मजबूत तरीके से सबसे बड़े संस्थानों में से एक की स्वायत्तता की रक्षा की.

 पटेल मितभाषी हैं. वह सुर्खियों में आने से बचते हैं. पर बैंकों के वसूली में फंसे कर्जों के खिलाफ कार्रवाई के बीच उन्होंने पहली बार यह मुद्दा उठाया कि निजी बैंकों की तुलना में सरकारी बैंकों के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में रिजर्व बैंक के अधिकार सीमित हैं. वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने उनसे अलग राय रखी. रिजर्व बैंक की स्वायत्तता पर हमले की बात कभी इस्तेमाल नहीं की गयी. धारा-7 को लागू करने के उल्लेख से शुरू हुआ मतभेद सार्वजनिक विवाद में बदल गया. माना जा रहा है कि इसी की वजह से अंत में पटेल को इस्तीफा देना पड़ा. पटेल ने हालांकि सिर्फ यह कहा है कि वह व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं.

उर्जित पटेल ने अपने इस्तीफे में रिजर्व बैंक में काम करने को सम्मान की बात बताया. उन्होंने लिखा है कि आरबीआइ स्टाफ, ऑफिसर्स और मैनेजमेंट के समर्थन और कड़ी मेहनत से बैंक ने हाल के वर्षों में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. मैं इस मौके पर अपने साथियों और आरबीआइ के डायरेक्टर्स के प्रति कृतज्ञता जाहिर करता हूं और उन्हें भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं.

डिप्टी गवर्नर बनने के बाद ली भारत की नागरिकता  

गवर्नर बनने के बाद भी पटेल कारमाइकल रोड पर आधिकारिक बंगले में नहीं गये. वह डिप्टी गवर्नर के रूप में उन्हें मिले बंगले में ही अपनी बीमार मां के साथ रहे और उनकी सेवा की. हालांकि, हाल में इस तरह की अटकलें थीं कि पटेल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, लेकिन रिजर्व बैंक की आखिरी पांच दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा बैठक के समय वह पूरी तरह स्वस्थ नजर आये. पटेल ने रिजर्व बैंक का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किये जाने (जनवरी-सितंबर 2013-16) के बाद भारत की नागरिकता ली. उससे पहले उनके पास केन्या का पासपोर्ट था. उन्होंने मुंबई में मिंट रोड (भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्यालय) की 19वीं मंजिल पर रघुराम राजन का स्थान लिया था. राजन, पटेल के स्वभाव के उलट मुखर तरीके से बोलने वाले थे.

उर्जित पटेल के अब तक के बड़े फैसले

उर्जित पटेल ने आरबीआइ की जिम्मेदारी चार सितंबर, 2016 को डिप्टी गवर्नर के तौर पर संभाली थी. लेकिन, उनके कार्यकाल के दूसरे महीने में ही देश की इकोनॉमी की दिशा बदल गयी.

बैंकों की एनपीए लंबे समय से एक समस्या रही है, लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए आरबीआइ ने बैंकों की सुस्ती पर फटकार लगायी. इसके अलावा उन्होंने एनपीए को वापस लाने के लिए कई अहम फैसले लिये. डिफॉल्टर्स पर नकेल कसने के लिए इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड को लागू करने में अहम भूमिका निभायी. उर्जित पटेल आरबीआइ के पहले ऐसे गवर्नर बने जिन्होंने 200 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक के नये नोट पर साइन किये.

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