
जब सूर्य देव का अर्घ्य देने का दिन रविवार आता है, तब उचय स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व दुगना हो जाता है। 12 अक्टूबर 2025 को कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी दोपहर 02:16 बजे तक चलेगी, उसके बाद ही सप्तमी का आरम्भ होगा। इस दिन मृगशिरा नक्षत्र 01:36 बजे तक रहेगा, वरीयान् योग 10:55 बजे तक प्रभामान रहेगा, और चंद्रमा मिथुन राशि में बीजु ब्रह्मा के सहायक बुधदेव के साथ प्रवास करेगा। रविवार को सूर्य देव की विशेष पूजा, स्कंद व्रत और कई शुभ मुहूर्त मिलते‑जुलते हैं – यही कारण है कि यह दिन व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक कार्यों के लिये ‘सप्ताह का सबसे फलदायी’ माना जाता है।
पंचांग का इतिहास और पाँच मुख्य अंग
हिंदू पंचांग, जिसे वैदिक पंचांग भी कहा जाता है, भारत की प्राचीन खगोल‑ज्योतिषीय परंपरा का परिणाम है। यह पाँच अंगों – तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण – से मिलकर बनता है। इन घटकों का मिलाव एक दिन की सम्पूर्ण ज्योतिषीय रचना तय करता है। हिंदू पंचांग परिषद हर साल इन गणनाओं को अपडेट करती है, ताकि धार्मिक अनुष्ठानों के लिये सटीक समय मिल सके।
12 अक्टूबर 2025 की विस्तृत समय‑सूची
तिथि‑और‑नक्षत्र
- कार्तिक माह, कृष्ण पक्ष, षष्ठी – दोपहर 02:16 बजे तक
- मृगशिरा नक्षत्र – 01:36 बजे तक, फिर आर्द्रा नक्षत्र शाम 07:15 बजे तक
- आर्द्रा नक्षत्र 13 अक्टूबर को 12:57 बजे तक जारी रहेगा
योग‑और‑करण
- वरीयान् योग – 10:55 बजे तक, उसके बाद परिघ योग
- सूर्य कन्या राशि में, नक्षत्र चित्रा में स्थित
- चंद्रमा मिथुन राशि में, स्वामी बुधदेव
सूर्य‑उदय‑और‑अस्त
- सूर्योदय – 06:20 बजे
- सूर्यास्त – 05:55 बजे
- चंद्रोदय – 10:14 बजे, चंद्रास्त – 12:06 बजे
शुभ मुहूर्त (उपयोगी समय)
- ब्रह्म मुहूर्त – 04:41 से 05:30 बजे (ध्यान‑धारणा के लिये श्रेस्ट)
- अभिजित मुहूर्त – 11:44 से 12:30 बजे (किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत हेतु)
- विजय मुहूर्त – 02:03 से 02:50 बजे (वाणिज्य‑लेन‑देन में सफलता)
- अमृत सिद्धि योग – 09:14 से 10:41 बजे (व्यक्तिगत विकास के लिये)
अशुभ काल (बचने योग्य समय)
- राहुकाल – शाम 04:28 से 05:55 बजे (स्रोत‑एक) या सुबह 09:11 से 10:38 बजे (स्रोत‑दो)
- यमगण्ड – दोपहर 12:00 से 01:30 बजे (स्रोत‑एक) या 12:07 से 01:34 बजे (स्रोत‑दो)
- गुलिक काल – दोपहर 03:01 से 04:28 बजे (स्रोत‑एक) या 03:30 से 04:30 बजे (स्रोत‑दो)
- अमृत काल – सुबह 07:47 से 09:14 बजे (अशुभ माना जाता है)
धार्मिक एवं सामाजिक महत्व
रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है, और प्राचीन शास्त्रों के अनुसार इस दिन सूर्य अर्घ्य देने से व्यापार‑वित्तीय वृद्धि होती है। कई घरों में इस दिन की सुबह ही सूर्य नमस्कार करती है, जबकि मंदिरों में रणधीर पूजा आयोजित होती है। उचय स्कंद षष्ठी व्रत स्कंद (कार्तिकेय) को समर्पित है; व्रती लोग शुद्ध शाकाहारी आहार, स्नान व जल-शुद्धि का पालन करते हैं, और शाम को स्कंद के मंत्र का जप करते हैं।
ज्योतिषी श्री ऐश्वर्य सिंह ने कहा, “इस दिन ब्रह्म मुहूर्त और अभिजित मुहूर्त दोनों ही मौजूद हैं, इसलिए यह शैक्षणिक, वैवाहिक और व्यावसायिक कार्यों के लिये अत्यधिक लाभदायक है। केवल राहुकाल व गुलिक काल जैसे अशुभ समयों से बचना चाहिए।”
व्यावहारिक सलाह और कार्य‑योजना
यदि आप इस दिन कोई नई शुरुआत या महत्वपूर्ण निर्णय लेना चाहते हैं, तो सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त (04:41‑05:30) में ध्यान‑धारणा करें। उसके बाद अभिजित मुहूर्त (11:44‑12:30) में दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर या वित्तीय लेन‑देन करना फल देगा। फिर, विजय मुहूर्त (02:03‑02:50) में व्यावसायिक मीटिंग रखें; यह समय लाभप्रदता को अधिकतम करता है।
एक और छोटी टिप: यदि आप घर में पूजा‑पाठ कर रहे हैं, तो सूर्यास्त के बाद (05:55‑06:20) गोधूलि बेला को प्रार्थना के लिये उपयोग करें – यह समय शांति‑प्रदायक माना जाता है।

आगामी दिनों में पंचंग का प्रभाव
13 अक्टूबर को आर्द्रा नक्षत्र रहेगा, और योग परिघ में परिवर्तन होगा, जिससे शारीरिक‑मानसिक ऊर्जा में हल्की उतार‑चढ़ाव की संभावना है। अगले दो दिनों के लिये यमगण्ड और गुलिक काल के अलग‑अलग समय बताये गये हैं, इसलिए दीर्घकालिक योजना बनाते समय इन्हें ध्यान में रखें।
सारांश: इस रविवार को क्यों याद रखें?
संक्षेप में, 12 अक्टूबर 2025 का पंचंग धार्मिक, सामाजिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से कई सुनहरे अवसर प्रदान करता है। स्कंद व्रत, सूर्य पूजा और सभी प्रमुख शुभ मुहूर्त एक साथ मिलते हैं, जिससे इस दिन के कार्यों की सफलता की संभावना ऊँची रहती है। बस असावधानी से राहुकाल‑गुलिक काल वालों से दूर रहें, और शुभ समय‑स्लॉट्स को पूरी तरह अपनाएँ।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
उचय स्कंद षष्ठी व्रत का मुख्य उद्देश्य क्या है?
यह व्रत भगवान स्कंद (कार्तिकेय) को समर्पित है और कर्तव्य‑परायणता, शारीरिक शक्ति तथा मन की शुद्धि की कामना करता है। व्रती लोग शुद्ध शाकाहारी भोजन, स्नान व पूजा‑जाप करके इस शक्ति को अपने जीवन में सम्मिलित करने का प्रयास करते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त कब से कब तक है और इसका प्रयोग क्यों करें?
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:41 से 05:30 बजे तक चलता है। यह समय आध्यात्मिक कार्य, ध्यान, आजीविका‑संबंधी नई पहल और शारीरिक स्वास्थ्य सुधार के लिये सबसे अनुकूल माना जाता है।
राहुकाल और गुलिक काल में क्यों काम नहीं करना चाहिए?
राहुकाल और गुलिक काल को शास्त्रीय परम्पराओं में अशुभ माना गया है क्योंकि इन समयों में सूर्य‑चन्द्र‑ग्रहों की स्थिति कार्य‑सफलता को बाधित करती है। इसलिए महत्वपूर्ण दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर, लेन‑देन या नई शुरुआत इन समयों में न करने की सलाह दी जाती है।
इस दिन सूर्य पूजा कैसे आयोजित करें?
रविवार को सुबह सूर्य उगते ही गंगाजल या शुद्ध पानी से स्नान कर लें, फिर घर या मंदिर में सूर्यका यह अर्घ्य दें। मंत्र "ॐ सूर्याय नमः" का 108 बार जप करें और तिल‑मूली के साथ प्रसाद अर्पित करें। यह प्रक्रिया आर्थिक‑सामाजिक उन्नति में सहयोगी मानी जाती है।
अभिजित मुहूर्त में कौन‑से कार्य शुरू करने चाहिए?
अभिजित मुहूर्त (11:44 से 12:30 बजे) घर की संकेत‑स्थापना, नये व्यापार की शुरुआत, शैक्षणिक परियोजनाएँ या वैवाहिक बंधन (विवाह) जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिये अनुकूल है। इस अवधि में बंधन‑बंधन की सफलता की संभावना अधिक रहती है।
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