
जब नवभारत टाइम्स ने 2025 के कैलेंडर में दीपावली की तिथियाँ घोषित कीं, हर घर में तुरंत बजरंगबली की पुकार गूँज उठी। इस साल दीपावली 2025 सोमवार, 20 अक्टूबर को मुख्य दिवाली के रूप में मनाई जाएगी, जबकि चोटी दिवाली, यानी दीपावली की रात, रविवार, 19 अक्टूबर को पड़ेगी। पहले ही पन्ने में लिखे समय‑सही मुहूर्त के कारण 20 अक्टूबर को दोपहर 03:44 बजे से लेकर 21 अक्टूबर शाम 05:54 बजे तक का अंतराल आध्यात्मिक कार्यों के लिये वर्जित माना गया है।
2025 की दीपावली कब होगी?
पंचांग विज्ञान के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:44 बजे शुरू होती है और 21 अक्टूबर को शाम 05:54 बजे समाप्त होती है। यह वही समय‑सीमा है जो लाइव्ह हिन्दुस्तान ने अपने ज्योतिष विभाग में बताया। वहीं जागराण धर्म डेस्क, नई दिल्ली ने भी इस तिथि को सोमवार को 03:44 बजे दर्शाया है, जिससे दिल्ली‑वासी भी अपने कैलेंडर में वही नोट कर सकते हैं।
लक्ष्मी‑गणेश पूजा के प्रमुख मुहूर्त
प्रदोष काल में जब सूर्य के प्रकाश और चंद्रमा की अंधकारिया मिलते‑जुलते हैं, तब माना जाता है कि लक्ष्मी‑गणेश की पूजा का परिणाम सबसे अधिक अनुकूल होता है। इस वर्ष का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को दोपहर 03:44 बजे से लेकर अगले दिन शाम 05:54 बजे तक विस्तारित है। पंडित भुपेश मिश्रा, जो बूढ़ानाथ मंदिर से संबंधित हैं, ने कहा, "धनतेरस से लेकर दीपावली तक का समय ख़ास रूप से धन‑संपदा के लिये अनुकूल है, परन्तु लक्ष्मी‑गणेश की पूजा को प्रदोष के अंतिम क्षण में करना ही उत्तम रहता है।"
राज्य‑वार प्रथा और खास रिवाज
बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में तो धनतेरस पर झाड़ू, कलश और पैन की खरीदारी को शुभ माना जाता है, वहीं पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम के लोग काली पूजा को दीपावली की रात, यानी चोटी दिवाली पर बड़े धूम‑धाम से अंजाम देते हैं। लाइव्ह हिन्दुस्तान ने बताया कि काली माँ की पूजा का मुख्य उद्देश्य नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना और घर‑परिवार में समृद्धि लाना है।

व्यापारी वर्ग और वित्तीय वर्ष की नई शुरुआत
गुजरात में तो दीपावली को महालक्ष्मी वर्ष की शुरुआत माना जाता है। यहाँ के व्यापारी दोपहर के बाद घर‑साफ‑सफ़ाई, रंगोली बनाकर और अपनी बही‑खाते को नया करके अपना आर्थिक चक्र शुरू कर देते हैं। यह परम्परा न केवल आध्यात्मिक कारणों से है, बल्कि व्यापारिक हिसाब‑किताब को कैलेंडर‑साफ़ रखने में भी मददगार है। नवभारत टाइम्स ने उद्धृत किया कि इस दिन व्यापारियों का नया बैलेंस‑शीट तैयार हो जाता है, जिससे अगले वित्तीय साल की योजना बनाना आसान हो जाता है।
विज्ञान‑आधारित पंचांग की दृष्टि
आधुनिक पंचांग सॉफ़्टवेयर अब खगोलीय डेटा को मिनट‑स्तर तक सटीकता से गणना करता है। उदाहरण के लिये, जागराण धर्म डेस्क, नई दिल्ली ने बताया कि कार्तिक माह की अमावस्या के वास्तविक प्रारम्भ समय 03:44 बजे है, जबकि लाइव्ह हिन्दुस्तान ने कुछ रिपोर्टों में दोपहर 01:14 बजे और शाम 03:24 बजे के अलग‑अलग समय का उल्लेख किया। ये अंतर मुख्यतः विभिन्न पंचांग प्रणाली (हिंदू पंचांग बनाम सौर पंचांग) के कारण होते हैं। लेकिन सभी प्रमुख स्रोत इस बात पर सहमत हैं कि 20‑21 अक्टूबर का अंतराल अभियान के लिये सर्वोत्तम है।

की मुख्य बातें – एक त्वरित सारांश
- मुख्य दिवाली: सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
- चोटी दिवाली (रात) : रविवार, 19 अक्टूबर 2025
- लक्ष्मी‑गणेश का शुभ मुहूर्त: 20 अक्टूबर 03:44 से 21 अक्टूबर 05:54 तक
- काली पूजा: 20 अक्टूबर को ही पूरा दिन
- व्यापारी नववर्ष: गुजरात में दीपावली से ही (वित्तीय वर्ष 2025‑26)
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
दीपावली 2025 की तिथि क्यों बदलती दिखती है?
विभिन्न पंचांग प्रणाली (हिंदू, वैदिक, सूर्य आधारित) के अंतर से समय‑भेद उत्पन्न होता है। जबकि कुछ स्रोत दोपहर 01:14 बजे का जिक्र करते हैं, आधिकारिक पंचांग 03:44 बजे को मानता है, जिससे अधिकांश धार्मिक कैलेंडर में वही तिथि आती है।
लक्ष्मी‑गणेश पूजा के लिये सही समय कौन‑सा है?
प्रदोष काल के अंत में, यानी 20 अक्टूबर को दोपहर 03:44 बजे से लेकर 21 अक्टूबर शाम 05:54 बजे तक, को शास्त्रों में सर्वाधिक लाभकारी माना गया है। इस अवधि में सूर्य‑ग्रह‑नक्षत्र का योग सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है।
गुजरात में महालक्ष्मी वर्ष का महत्व क्या है?
गुजरात में दीपावली को धन‑संपदा का प्रतीक माना जाता है। यहाँ व्यापारी इस दिन अपने बही‑खाते बदलते हैं, जिससे नया वित्तीय वर्ष आध्यात्मिक रूप से शुभ बन जाता है। यह परम्परा दशकों से चलती आ रही है और आज भी बड़े पैमाने पर मनाई जाती है।
काली पूजा कब और कैसे करनी चाहिए?
काली माँ की पूजा आमतौर पर चोटी दिवाली की रात, यानी 19 अक्टूबर 2025 को की जाती है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में लोग इस पूजा को नृत्य, भजन‑कीर्तन और विशेष विधियों के साथ अंजाम देते हैं, जिससे नकारात्मक ऊर्जा हटाकर घर‑परिवार में शांति स्थापित होती है।
धनतेरस की खरीदारी में क्या चीज़ें सबसे शुभ मानी जाती हैं?
धनतेरस पर बर्तन, कलश, झाड़ू, पैन और लक्ष्मी‑गणेश की मूर्तियों की खरीदारी को अत्यंत शुभ माना जाता है। पंडित भुपेश मिश्रा के अनुसार, इन वस्तुओं का घर में स्वागत करने से साल भर के लिये आर्थिक समृद्धि और परिवार में सुख‑शांति बनी रहती है।
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