अमावस्या – क्या है और क्यों महत्वपूर्ण?
जब हम अमावस्या, चंद्रमा का वह चरण जब वह पूरी तरह नहीं दिखाई देता और रात का अंधकार सबसे गहरा होता है, अंधेरी रात की बात करते हैं, तो यह सिर्फ़ खगोलीय घटना नहीं, बल्कि हिंदू कैलेंडर, हिंदू धर्म में प्रयुक्त lunisolar प्रणाली में एक महत्वपूर्ण तिथि बनती है। इस दिन कई व्रत, धार्मिक उपवास जो शुद्धि और मन‑शांती के लिए किया जाता है रखे जाते हैं और विशेष पूजा‑पाठ किए जाते हैं। अमावस्या आध्यात्मिक शुद्धि को प्रेरित करती है, हिन्दू कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित है और व्रत इस तिथि के साथ गहराई से जुड़ा है।
अमावस्या से जुड़े प्रमुख पहलू
अमावस्या का असर केवल रात के अंधेरे तक सीमित नहीं रहता; यह नक्षत्र, योजनाएँ और दैनिक शेड्यूल को भी प्रभावित करता है। पंचांग में इसका मान ‘अंधकार’ के रूप में दिया जाता है, जिससे शनि, बुध और शुक्रम जैसे ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है। कई लोग इस दिन सूर्य‑पूजा (सूर्य देव) करते हैं क्योंकि सूर्य की शक्ति को संतुलित करने के लिए अंधेरे को उजाले में बदलना माना जाता है। इसके अलावा, स्कंद व्रत, ब्रह्म मुहूर्त और अन्य विशेष समय‑अवधि भी अमावस्या के साथ आती हैं, जो इस पैराग्राफ में दिखाए गए लेखों में विस्तार से समझाए गए हैं।
दिल्ली डाक.in पर प्रकाशित लेखों में आप देखेंगे कि 12 अक्टूबर 2025 की पंचांग में उचय स्कंद षष्ठी व्रत और ब्रह्म मुहूर्त का उल्लेख है—ये सभी घटनाएँ अमावस्या के प्रासंगिक पहलू हैं। खेल समाचार, तकनीकी अपडेट या कानूनी रिपोर्ट भी कभी‑कभी इस तिथि के मौसमी प्रभाव को लेकर टिप्पणी करती हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अमावस्या का प्रभाव हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है। नीचे दी गई पोस्ट सूची में आप तिथि‑गणना, व्रत‑विवरण, समारोह‑परम्पराएँ और कुछ दिलचस्प आधुनिक विश्लेषण पाएँगे।
अब जब आपको अमावस्या की बुनियादी समझ, उसके धार्मिक महत्व और रोज़मर्रा के जीवन में उसकी भूमिका पता चल गई है, तो आगे की सामग्री में आप विभिन्न पोस्टों के माध्यम से गहरी जानकारी हासिल कर सकते हैं। यहाँ से शुरू करें और देखिए कैसे इस अंधेरी रात ने इतिहास, संस्कृति और विज्ञान को आपस में जोड़ दिया है।