12 अक्टूबर 2025 का पंचंग: उचय स्कंद षष्ठी व्रत, ब्रह्म मुहूर्त और शुभ समय
12 अक्टूबर 2025 को कार्तिक कृष्ण पक्ष षष्ठी, स्कंद व्रत, मृगशिरा नक्षत्र और ब्रह्म मुहूर्त के साथ, सूर्य पूजा का विशेष महत्व है।
आगे पढ़ेंजब पंचांग, हिंदू कैलेंडर का वह स्रोत है जिसमें साल के सभी तिथियों, नक्षत्रों, योगों और राहु‑केतु की चालें लिखी होती हैं, की बात होती है, तो कई लोग सिर्फ आधी जानकारी पकड़ पाते हैं। इस कारण से हम यहाँ तिथि, दिन का अंकित भाग जो पक्व या अमावस्य जैसे धार्मिक महत्व रखता है और नक्षत्र, आसमान में स्थित 27 सितारों का समूह जो व्यक्तित्व और समय पर असर डालते हैं को विस्तार से समझेंगे। साथ ही योग, समय का वह संयोजन जो शुद्ध या अशुद्ध कार्य तय करता है और राशि, बारह भूमियों में से सूर्य की स्थिति जो जन्म कुंडली बनाती है को भी जोड़ेंगे। इससे पंचांग को समझना आसान हो जाएगा और आप रोज़मर्रा के फैसले बेहतर बना पाएंगे।
पंचांग एक ही दस्तावेज़ में कई इकाइयों को समेटे रहता है। पहला संबंध है पंचांग → तिथि: हर माह में पांचष्टियों को दो भागों में बाँटा जाता है – शुक्ल (चाँद का उज्ज्वल पक्ष) और कृष्ण (अंधकार पक्ष)। इस विभाजन से त्यौहारों की तिथि तय होती है, जैसे दीपावली शुक्ल द्वादशी को आती है। दूसरा संबंध है पंचांग → नक्षत्र: प्रत्येक तिथि के साथ एक नक्षत्र जुड़ा होता है, जिससे कार्यों की अनुकूलता या प्रतिकूलता का आकलन किया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी महत्वपूर्ण मीटिंग को अत्रि नक्षत्र में रखा गया, तो सफलता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
तीसरा मुख्य संबंध पंचांग → योग है। कैलेंडर में 27 योग होते हैं, जैसे विजय, वैधृति, और शिव। योग की प्रकृति निर्धारित करती है कि उस दिन शत्रु के विरुद्ध युद्ध करना, व्यापार करना या विवाह करना उचित है या नहीं। चौथा संबंध पंचांग → राशि से जुड़ा है—सूर्य का हर महीने किसी न किसी राशि में रहता है, जिससे जन्म कुंडली की बुनियाद बनती है और करियर, स्वास्थ्य आदि पर असर पड़ता है।
इन चार इकाइयों के अलावा ग्रहों की चालें भी पंचांग में दर्ज होती हैं। ग्रहों का अपना प्रभाव होता है — शनि के दण्ड से सावधानी, बृहस्पति के आशिर्वाद से प्रसन्नता। जब आप तिथि, नक्षत्र, योग और राशि को ग्रहों के साथ मिलाकर देखते हैं, तो आप जीवन के लगभग हर पहलू में सही समय चुन सकते हैं। यही कारण है कि कई लोग शादी, घर खरीदना या नए प्रोजेक्ट की शुरुआत के लिए पंचांग को ही मार्गदर्शक बनाते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे, यह जानकारी कैसे आपके दैनिक जीवन में काम आती है? फ़ैसले लेने में अपनाए जाने वाले समय‑निर्धारण यानी शुभ मुहूर्त बनाने में यह मदद करता है। अगर आप किसी बड़े कार्यक्रम की योजना बना रहे हैं, तो पंचांग देखें, देखिए कौन‑सा तिथि (शुभ या अभिषेक), कौन‑सा नक्षत्र (शुभ), कौन‑सा योग (विजय) और कौन‑से ग्रह (शुक्र) उस दिन समर्थन कर रहे हैं। इन सभी को मिलाकर आप अपने काम को सफलता की दिशा में मोड़ सकते हैं।
हमारी साइट पर नीचे कई लेखों की एक लिस्ट है जहाँ हम ने अलग‑अलग घटनाओं के पंचांग‑विचार लिखे हैं — क्रिकेट मैचों में शुभ समय, सरकारी विज्ञप्तियों के लिए मुहूर्त, यात्रा‑उल्लेख, और यहाँ तक कि दैनिक धार्मिक कार्यों की योजना। इन लेखों को पढ़कर आप न सिर्फ पंचांग की बारीकियों को समझेंगे बल्कि इसे अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में कैसे लागू किया जाए, इसका व्यावहारिक ज्ञान भी पाएंगे। तो चलिए आगे देखते हैं कि इस संग्रह में क्या क्या है।
12 अक्टूबर 2025 को कार्तिक कृष्ण पक्ष षष्ठी, स्कंद व्रत, मृगशिरा नक्षत्र और ब्रह्म मुहूर्त के साथ, सूर्य पूजा का विशेष महत्व है।
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