उचय स्कंद षष्ठी व्रत की पूरी गाइड

जब बात उचय स्कंद षष्ठी व्रत, हिन्दू धर्म में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला एक विशेष उपवास है, तो इसका उद्देश्य शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि दोनों ही है। यह व्रत उछय स्कंद, भक्तों द्वारा पूजित एक लोक देवता, जिन्हें स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है की अर्घ्य‑अर्चना से जुड़ा है। साथ ही, व्रत, एक ऐसा नियम जो रोज़ा, शुद्ध भोजन और मनन‑ध्यान पर केन्द्रित होता है इस दिन के मुख्य पहलू हैं। इस प्रकार, शुक्ल पक्ष, चन्द्र कैलेंडर का वह भाग जिसमें चंद्रमा उज्जवल होता है, व्रत के समय को निर्धारित करता है भी इस पूरक तत्व में शामिल है। उचय स्कंद षष्ठी व्रत न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करता है, बल्कि जीवन में अनुशासन और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि का महत्व

शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कई पौराणिक कथाएं जोड़ती हैं। कहा जाता है कि इस दिन उछय स्कंद ने अपने शत्रु को परास्त करके अपने भक्तों को सुरक्षा प्रदान की। इसलिए, इस तिथि पर व्रत रखने से मन की शांति और परिवार में सौहार्द बढ़ता है। साथ ही, इस दिन सूर्य के उदय के समय जल‑शुद्धि (जलगिरी) करने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह प्रक्रिया शुद्ध जल सेवन के रूप में जानी जाती है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है। जब आप इस व्रत को शुक्ल पक्ष के साथ जोड़ते हैं, तो पवित्रता की दोहरी प्रभावशीलता मिलती है – आध्यात्मिक तथा शारीरिक दोनों।

उपवास के दौरान भोजन में केवल फल, लड्डू, मिठाई और शुद्ध जल को प्राथमिकता देना चाहिए। यहाँ तक कि नमक को भी सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए, क्योंकि नमक की अधिकता शरीर में कफ‑संकट पैदा कर सकती है। इस नियम का मूल कारण है शरीर की शुद्धि और मन की एकाग्रता। व्रत के पहले दिन हल्का नाश्ता लेकर दिन की शुरुआत करें, फिर दोपहर में हल्का फल‑सालाद खाएँ और रात को केवल पानी या नारियल पानी पिएँ। इस प्रकार का उपवास शरीर को हल्का रखता है और ऊर्जा को पुनः संरचित करता है।

पूजा सामग्री में मुख्यतः घी, दालें, चावल, शक्कर और शुद्ध जल शामिल होते हैं। घी का प्रयोग अर्घ्य‑अर्चना में किया जाता है, जिससे उछय स्कंद को सौंजन्य सम्मान मिलता है। दालें और चावल का मिश्रण भोग‑प्रसाद के रूप में तैयार किया जाता है, जिसे व्रत समाप्ति के पश्चात सभी परिवारजनों में बाँटा जाता है। इस भोग को तैयार करने के दौरान मन में शांति और कृतज्ञता का भाव रखें – इससे ही यह अभ्यास आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। साथ ही, दान‑कार्य जैसे गरीबों को भोजन देना या वैदिक ग्रन्थों का पाठ करना इस व्रत का अभिन्न हिस्सा माना जाता है।

व्रत के फायदे केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी भी होते हैं। नियमित रूप से उचय स्कंद षष्ठी व्रत रखने वाले लोगों में पाचन शक्ति बेहतर होती है, त्वचा की चमक बढ़ती है और रक्तचाप सामान्य रहता है। यह इस कारण है क्योंकि उपवास के दौरान शरीर को डिटॉक्सिफिकेशन का अवसर मिलता है। वैज्ञानिक रूप से कहा जाए तो ऐसा उपवास शरीर में ग्लाइसेमिक इंडेक्स को नियंत्रित करता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है। इसलिए, यदि आप स्वास्थ्य को भी महत्व देते हैं, तो इस व्रत को अपनाना एक अच्छा विकल्प है।

आज के समय में डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर भी इस व्रत के बारे में विस्तृत संसाधन उपलब्ध हैं। कई धार्मिक मंच, यूट्यूब चैनल और ऐप्स में उछय स्कंद की कथा, शास्त्रीय गीत और पूजा विधि की विस्तृत व्याख्या मिलती है। आप इन संसाधनों का उपयोग करके अपने घर में ही सही तरीके से व्रत कर सकते हैं। विशेषकर, यदि आप पहली बार इस व्रत को रखते हैं, तो ऑनलाइन मार्गदर्शन मददगार साबित हो सकता है। याद रखें, सही जानकारी और सही समय पर किया गया उपवास ही असली लाभ देता है।

अंत में, यह कहा जा सकता है कि उचय स्कंद षष्ठी व्रत एक समग्र जीवनशैली है – जिसमें आध्यात्मिक, शारीरिक और सामाजिक पहलू शामिल हैं। यह व्रत आपके जीवन में अनुशासन, शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। नीचे दिए गए लेखों में आप इस व्रत से जुड़े विभिन्न पहलुओं, व्यक्तिगत अनुभवों और विस्तृत चरण‑बद्ध मार्गदर्शिका पाएँगे, जो आपके उपवास को और भी सहज और प्रभावी बनाएँगी। आगे चलकर इन लेखों को पढ़कर आप अपने दैनिक जीवन में इस पवित्र व्रत को सहजता से सम्मिलित कर सकते हैं।

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