राजनीति में आते हीं लगने लगते हैं बेवजह के आरोप

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अमिताभ प्रसाद सिंह/ दिल्ली मेल
नई दिल्ली। आप ने अक्सर लोगों के मूंह से यह कहते हुए सूना होगा कि राजनीति गंदी होती है। राजनीतिज्ञ गंदे होते हैं किन्तु सवाल यह है कि क्या यह पुरी तरह से सच है या फिर हमने पुरी तरह से यही मांसिकता विकसित कर ली है और यह मान लिया है कि हर राजनीतिज्ञ गलत हीं होते हैं। अगर ऐसा है तो फिर यह देश, यह समाज और यह व्यवस्था कैसे चल रही है? इस सवाल पर भी बहस होनी चाहिए। समाज सेवा से राजनीति में आने वाले लोगों की लिस्ट बहुÞत लम्बी है। देश में सैकड़ों लोग ऐसे हुए जो समाज सेवा से सीधे राजनीति में आए और सत्ता के माध्यम से जन सेवा का बेहतरीन उदाहरण पेश किया। हालाकि यह भी सच है कि आरोपों से वे भी बंचित नहीं रह सके।
रोहिणी तथा इसके आस-पास के इलाकों में एक नाम ऐसा भी है। जिसने अपने जीवन के तीस बहुमुल्य साल समाज सेवा में लगा दिया। और अब वे राजनीति में हैं और आम आदमी पार्टी के साथ मिल कर अपने सेवा के कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। यह नाम है राजेश बंसीवाला का। राजेश बंसीवाला ने समाज सेवा के क्षेत्र में कार्य करते हुए हजारों लोगों के परेशानियों को सम­ाा और उन लोगों को उनके परेशानियों के साथ अपनाया तथा उनकी मदद की। उनके समाज सेवा की ख्याति ऐसी रही कि उन्हें सैकड़ों मंचों पर अलग-अलग नेताओं, संगठनों एवं सोसायटियों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। जिसकी वजह से आम से खास तक सबने उन्हें सर आंखों पर बिठाया और अपना हितैसी माना। किन्तु अब राजनीति में आने के बाद उनके बारे में तरह-तरह की अफवाहें शुरू हो गर्इं है जबकि जब तक वे सिर्फ समाज सेवा के क्षेत्र में थे तबतक उनके विरूद्ध कोई सवाल नहीं उठा। यह सब बेसक राजनीतिक प्रतिद्वन्दिता हीं है किन्तु उनके खिलाफ राजीतिक भ्रम फैलाने की साजिश तो शुरू हो हीं गई है। या फिर भ्रम फैलाने का कारण जो भी हो उनके खिलाफ उठ रहे सवालों और सवाल उठाने वालों के समक्ष भी एक यक्ष सवाल यह भी जरूर खड़ा है कि आरोप लगाने का यही समय क्यों चुना गया? राजेश बंसीवाला के समर्थक यह सवाल जरूर पूछ रहे हैं कि जो पिछले तीस सालों से एक इमानदार समाजसेवी, एक सफल व्यवसायी एवं मिलनसार व्यक्ति था वह राजनीति में आते हीं आरोपी कैसे होने लगा? क्या उसके पिछले कार्य इतने छोटे थे कि अब वह भ्रम मात्र से कमजोर हो जाएंगे? बिना भविष्य के कार्य को देखे उसे कैसे कठघरे में खड़ा किया जा सकता है जिसका इतिहास बेदाग और जन हितकारी रहा हो?

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