अपना मुरीद बना लेते थे अटल जी: सूर्य प्रकाश भारद्वाज

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अटल जी भारत के बहुदलीय लोकतंत्र में एकमात्र ऐसे राजनेता थे जो प्राय: सभी दलों को स्वीकार्य रहे। भारत की संस्कृति, सभ्यता, राजधर्म, राजनीति और विदेश नीति की उनको गहरी समझ थी।
– सूर्य प्रकाश भारद्वाज

 

दिल्ली मेल संवाददाता

अटल जी का व्यक्तित्व अन्य राजनीतिज्ञों से अलग रहा। वह एक खुशमिजाज इंसान थे और सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे। उनका अनुभव काफी लंबा रहा। उन्होंने हमेशा ही देश के प्रति समर्पित भाव से चीजों को प्रस्तुत किया। अपने मिलनसार एवं अपनत्व भरे व्यवहार के कारण वे पहली मुलाकात में ही लोगों को अपना मुरीद बना लेते थे। यह कहना है भारतीय जनता पार्टी के उत्तरी-पश्चिमी जिला से आरडब्ल्यूए सेल के संयोजक सूर्य प्रकाश भारद्वाज का। सूर्य प्रकाश भारद्वाज बताते हैं कि जो भी राजनीतिक जीवन में है अटलजी उन सभी के लिए आदर्श हैं। वे कहते हैं, अटल जी को भारतीय राजनीति के युगपुरुष, श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ, कोमल हृदय संवेदनशील मनुष्य, वज्रबाहु राष्ट्रप्रहरी, भारतमाता के सच्चे सपूत, अजातशत्रु आदि जो भी शब्द एवं उपाधि से नवाजा जाए वह कम है। स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई से अपने मुलाकातों को याद करते हुए श्री भारद्वाज बताते हैं कि उनसे पहली बार किसी खास वजह से मुलाकात के लिए उनके आवास पर जाना हुआ। मन में अनेकों सवाल उमड़ रहे थे। उनके द्वारा हमारे साथ पेश आने की शैली को लेकर विशेष अनिश्चितता थी। कई तरह के अच्छे और बुरे खयाल भी मन में आ रहे थे। किन्तु जब उनसे सामना हुआ तब उनका व्यवहार हमारे साथ ऐसा था मानो अटल जी हमें कितनों दिनों से जानते हैं। दो चार मिनट में हीं उनके व्यवहार के कारण हम उनके मुरीद हो गए। सूर्य प्रकाश भारद्वाज कहते हैं, अटल जी भारत के बहुदलीय लोकतंत्र में एकमात्र ऐसे राजनेता थे जो प्राय: सभी दलों को स्वीकार्य रहे। भारत की संस्कृति, सभ्यता, राजधर्म, राजनीति और विदेश नीति की उनको गहरी समझ थी। बदलते राजनैतिक पटल पर गठबंधन सरकार को सफलतापूर्वक बनाने, चलाने और देश को विश्व में एक शक्तिशाली गणतंत्र के रूप में प्रस्तुत कर सकने की करामात उन जैसे करिश्माई नेता के बूते की ही बात थी। प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में जहां इन्होंने पाकिस्तान और चीन से संबंध सुधारने हेतु अभूतपूर्व कदम उठाए वहीं अंतरराष्ट्रीय दवाबों के बावजूद गहरी कूटनीति तथा दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करते हुए पोकरण में परमाणु विस्फोट किए तथा कारगिल-युद्ध जीता।
श्री भारद्वाज बताते हैं कि राजनीति में दिग्गज राजनेता, विदेश नीति में संसार भर में समृद्ध कूटनीतिज्ञ, लोकप्रिय जननायक और कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ वे एक अत्यंत सक्षम और संवेदनशील कवि, लेखक और पत्रकार भी थे।

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