भाजपा नेताओं ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि

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दिल्ली मेल संवाददाता
अर्पित करने का कार्यक्रम आयोजित किया। इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता, केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन, सांसद मीनाक्षी लेखी, रमेश बिधूड़ी, प्रवेश वर्मा, केन्द्रीय कार्यालय मंत्री महेन्द्र पांडेय, संगठन महामंत्री सिद्धार्थन, प्रदेश महामंत्री कुलजीत सिंह चहल, रविन्द्र गुप्ता, उत्तरी-पूर्वी जिला अध्यक्ष अजय महावर, पूर्व जोन चेयरमैन निलम बुद्धिराजा समेत निगम के पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष एवं वरिष्ठ सम्मिलित हुये। कार्यक्रम का संचालन प्रदेश महामंत्री राजेश भाटिया ने किया।

इस अवसर पर श्री नड्डा ने कहा कि डॉ मुखर्जी प्रखर राष्ट्रवाद, दूरदृष्टा, दिशा देने वाले और नदी का मुख मोड़ने वाले हमारे नेता थे। श्री नड्डा ने डॉ मुखर्जी की जीवन यात्रा का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि उनमें देश की समस्याओं से जूझने की उत्कट इच्छा शक्ति थी जिसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने सबसे पहले शिक्षा में खुद को समर्पित किया। हम सबों के लिए सौभाग्य की बात है कि जनसंघ का नेतृत्व करने वाले हमारे नेता डॉ मुखर्जी एक प्रखर शिक्षाविद भी थे और मात्र 33 वर्ष की अवस्था में कलकत्ता विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर बनने वाले विश्व के सबसे कम उम्र के व्यक्ति बने। श्री नड्डा ने कहा की डॉ मुखर्जी किसी पद के मोहताज नहीं बल्कि देश सेवा ही उनका परम लक्ष्य था। श्री नड्डा ने कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री पर निशाना साधते कहा कि जवाहर लाल नेहरु ने डॉ मुखर्जी को अंतरिम सरकार में मंत्री पद दिया लेकिन नेहरु की तुष्टिकरण की नीति और नेहरु-लियाकत अली पैक्ट के विरोध में अपना इस्तीफा दे दिया तथा देश की एकता, अखंडता के लिए उन्होंने अपने को समर्पित कर दिया। डॉ मुखर्जी ने पूरी दृढ़ता के साथ कहा था भारत के तिरंगे का सम्मान होना चाहिए और एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे। नड्डा ने कहा की 23 जून 1953 को डॉ मुखर्जी की जिस प्रकार संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई, उससे पूरे देश में कोहराम मच गया और देश की जनता उस समय प्रश्न करने लग गयी कि जब डॉ मुखर्जी अच्छी सेहत की स्थिति में जम्मू में प्रवेश किए थे तो एक माह के अन्दर आखिर उनकी जीवन लीला कैसे समाप्त हो गयी? पूरे देश ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत की जांच की मांग की, लेकिन पंडित नेहरू ने जांच के आदेश नहीं दिये, इतिहास इस बात का गवाह है। श्री नड्डा ने कहा कि डॉ मुखर्जी का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा। भारतीय जनता पार्टी इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि उनकी मौत के कारणों का पता लगाकर रहेगी। नड्डा ने कहा कि डॉ मुखर्जी के बलिदान के कारण ही आज जम्मू कश्मीर से परमिट सिस्टम समाप्त हुआ और तिरंगा अपने पूरे शान के साथ जम्मू-कश्मीर में लहरा रहा है, सुप्रीम कोर्ट और सीएजी के अधिकार क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर आया और उन्हीं के बलिदान का परिणाम है कि जम्मू-कश्मीर आज देश की मुख्य धारा में शामिल है। इस एजेंडे को हमेशा हमें याद रखना है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस एजेंडे को आगे बढ़ा रही है और हम पूरी ताकत के साथ जम्मू-कश्मीर के विषय को लेकर आगे बढ़े हैं।

डॉ मुखर्जी का बलिदान भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकतार्ओं और देश के युवाओं के लिए अदम्य प्रेरणा का अक्षय स्रोत है। डॉ मुखर्जी ने अपने जीवन में जो कार्य किये वो उस समय से बहुत आगे के थे। देश डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान को सदैव स्मरण करता रहेगा। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पार्टी के सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी की सोच को सिद्ध कर रहे हैं चाहे कश्मीर का विषय हो, चाहे दूसरे विषय हो उनकी सोच को आगे बढ़ाने के लिए भाजपा का हर कार्यकर्ता संकल्पित है। भारतीय जनता पार्टी जिस तरह से काम कर रही है उससे आने वाली पीढ़ी को पता चलेगा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश को क्या दिया. कश्मीर को लेकर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जो अभियान चलाया वह लड़ाई आज भी लड़ी जा रही है। डॉ. मुखर्जी ने एक देश में दो विधान दो प्रधान और दो निशान का विरोध करते हुए कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानकर परमिट राज को खत्म करने की लड़ाई लड़ी, उनके बलिदान से ही परमिट राज खत्म हुआ। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने जिन उद्देश्यों को लेकर अभियान शुरू किया था उसकी पूर्ति आज भारतीय जनता पार्टी का हर कार्यकर्ता पूरा करने के लिए
समर्पित हैं।

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